हिंदू मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा होती है. Ganesh chaturthi पर शुभ मुहूर्त में पूजा करने का खास महत्व है. आपको बता दें कि इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को है। 11 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का समापन 21 सितंबर को होगा.
कुछ लोग इस त्योहार को सिर्फ दो दिन के लिए मनाते हैं तो कुछ इसे पूरे दस दिनों तक मनाते हैं। इसे गणेश (Ganesh) महोत्सव भी कहते हैं.
गणेश चतुर्थी पूजन एवं गणेश पूजन का महत्व।
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गणेश पूजा को महोत्सव के रूप में दस दिनों तक मनाने के बाद अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश को विदाई देने की परंपरा है. विसर्जन पर भगवान श्री गणेश के भक्त झूमते-गाते हुवे उनके अगले साल लौटने की प्रार्थना करते है।
भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से सभी समस्याओं का समाधान होता है।
भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता‘ के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है सभी बाधाओं को दूर करने वाले.
(Ganesh Chaturthi ) गणेश चतुर्थी की पूजा घर पर कैसे की जाती है?
गणेश चतुर्थी पूजन विधि का समय:
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 9 सितंबर रात 12 बजकर 18 मिनट से
- चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 सितंबर रात 9 बजकर 57 मिनट तक
- मध्यान्ह पूजन मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 33 मिनट पर
- वर्जित चंद्रदर्शन का समय –सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शाम 8 बजकर 53 मिनट तक
गणेश चतुर्थी पूजन विधि:
- गणपति जी को बैठाने से पहले पूरा घर अच्छे से साफ़ करें।
- दरवाजे पर आरती की थाल लेकर गणपति मंत्र का उच्चारण करें।परंतु ध्यान रहे, यह विधि राहु काल में नहीं होनी चाहिए।
- गणेश जी को आसान पर बैठाने के बाद,मोदक ,भोग और उनके पसंदीदा भोजन का भोग लागाए और आरती करें।
- गणपति स्थपना करते समय,उनके उल्टे हाथ की तरफ़ कलश स्थापना करें जो कि,गेहूं, चावल या फ़िर पानी से भरा हो।
- कलश के मुख पर मौली बांध कर ,नारियल रखें जटाओं को ऊपर की ओर रखें,और कलश आमपत्र से भरे।
- गणेज जी के स्थान के सीधे हाथ की तरफ़ घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख और सुपारी रखनी चाहिए ।
- हाथ में जल एवं अक्षत्र लेकर गणपति का ध्यान और देवताओं का स्मरण करें।
- अक्षत्र पुष्प चौकी पर समर्पित करें।सुपारी में मौली लपेटकर चौकी पर अक्षत्र रख,सुपारी की स्थापना करें।
आह्वान करें,गणपति महाराज का और कलश पूजन और दीपक पूजन करें। - इसके बाद पंचोपचार या षोडषोपचार के द्वारा गणपति जी को याद करें।
!! प्रथम पूजा गणपति की!!
भगवान गणेश सब देवों में प्रथम पूज्य देव है। मान्यता है कि हर शुभ काम से पहले गणेश जी की पूजा करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है और जीवन में खुशियां आती है। तभी तो कहा गया है।
गणेश जी की पूजा में दूर्वा व मोदक का विशेष महत्व है, लेकिन इनकी पूजा में तुलसी पत्र वर्जित है। गणेश जी की तीन परिक्रमा करने का विधान है। कहते हैं कि परिक्रमा करते समय यदि भक्त अपनी इच्छाओं को दोहराया, तो वे भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं। अगर आप विधिवत पूजा विधान नहीं जानते, तो रोजाना गणेश जी की आरती भी कर सकते हैं। घर में यदि वास्तु दोष है तो गणेश जी को रोजाना दुर्वा चढ़ाएं। सब मंगल होगा।
गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
जय गणेश, जय गणेश ……
एकदंत दशा दयावंत, चार भुजाधारी।
मस्तक सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।।
जय गणेश, जय गणेश …….
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
जय गणेश, जय गणेश …….
हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।।
जय गणेश, जय गणेश ……
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी।
कामना को पूर्ण करो, जय बलिहारी।।
जय गणेश, जय गणेश……
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
घर मे कहा ना लगाए गणेश जी की मूर्ति
घर में बाथरूम की दीवार और घर के बेडरूम में भी भगवान गणेश की मूर्ति लगाना शुभ नहीं होता. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में कलह और पति-पत्नी के बीच बेवजह तनाव बना रहता है.
नृत्य करती हुई भगवान गणेश की मूर्ति घर में न लाएं और न ही किसी को उपहार में दें. ऐसा कहा जाता है कि ऐसी मूर्ति घर में लगाने से घर में कलह-कलेश होता रहता है.
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