Dhokebaaz Shayari
हर खेल में हम बाजी मार जाते हैं,
पर धोखेबाज से हम बाजी हार जाते हैं।
तुमने प्यार ना सही पर तुम्हारे धोखे ने
मुझे बहुत हिम्मत दी है
दिल के ज़ख्म भरते-भरते कब वो
दिल ज़ख़्मी कर गए पता ही नहीं चला
बो आयने में खुद को कैसे बर्दाश्त करते होंगे,
उन्हें तो सख्त नफ़रत थी धोखेबाजों से।
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे,
इक शहर अब इनका भी होना चाहिए।
दर्द इतना था ज़िन्दगी में कि,
धड़कन साथ देने से घबरा गईं
बहुत कोशिश की मेने उसे मनाने की
फिर एक रोज मैने खुद को समझा लिया
एक वक़्त पर जाकर ये महसूस होगा है की बेहतर
होता अगर हम कुछ लोगो से मिले ही न होते
चाय दूसरी एसी चीज़ है, जिससे आँखें खुलती है
धोखा अभी भी पहले नम्बर पर है
किरदार की अज़मत को गिरने न दिया हमने,
धोखे तो बहुत खाये लेकिन धोखा न दिया हमने
Dhokebaaz Shayari
अपनी पीठ से निकले खंज़रों को जब गिना मैंने
ठीक उतने ही निकले जितना तुझे गले लगाया था
किसी को धोखा देने से पहले,
सोच लिया करो उसपर क्या गुजरेगी
हम तो तेरे प्यार में इस कदर
डूब गए और तूने गिरा हुआ ही समझ लिया
दर्द जितना था जिंदगी में की,
धड़कन साथ देने से घबरा गई,
आंख बंद थी किसी की याद में,
और मौत तो धोखा खा गयी